लघु कथा

कक्षा में एक दिन

मीरा और उसकी सभी सहेलियां कक्षा में एक साथ बैठकर दोपहर का खाना खाते हैं। एक दिन अचानक किसी कारण मीरा स्कूल नहीं आ पाती। जब वह दूसरे दिन आती है तो खाने के समय में सब लोग रोज की तरह साथ रहते हैं लेकिन वह क्या देखती है कि उसकी एक सहेली दूर अलग बेंच पर खाना खोल कर बैठी है। उसे बहुत अजीब लगता है और वह उससे पूछती है, पार्वती क्या हुआ आज तुम अलग क्यों खाना खा रही ? वह कुछ जवाब नहीं देती। मीरा फिर से पूछती है लेकिन उसकी आंखें आंसू से भर जाती है और वह फिर से जवाब नहीं दे पाती। मीरा अपनी जगह से उठती है और उसके पास जाती है फिर प्यार से पूछती है कि तुम हमारे साथ नहीं खाओगी तो मैं भी खाना नहीं खाऊंगी। तब पार्वती बताती है कि जब कल तुम नहीं आई थी तो रिया ने मुझसे कहा कि तुम वेश्या जाति की हो, तुम्हारा कोई धर्म नहीं है इसीलिए तुम हमसे दूर रहो और तुम जैसे मीरा के घर पहुंच जाती हो मेरे घर पर भूल से भी मत आ जाना नहीं तो मैं तुम्हें धक्के दे कर बाहर निकाल दूंगी इतना कहकर पार्वती फूट फूट कर रोने लगी। मीरा को रिया पर बहुत गुस्सा आया लेकिन उसने अपने गुस्से को पीकर सभी से कहा: यदि उसने वेश्या जाति में जन्म लिया है तो क्या दोष है? वह तो अपने जीवन में कुछ अलग और अच्छा करना चाहती है। उसका साथ देने की बजाय तुम सब लोग उसे नकार रहे हो। जो लोग हम लोगों के साथ खाना खाना चाहते हैं वह इधर आ जाए। परंतु मैं पार्वती के बिना तुम सब के साथ खाना नहीं खाऊंगी। रिया और उसकी खास सहेली छोड़कर सभी सहेलियां मीरा के पास आ गई और मिलकर खाना खाने लगी। दो-तीन दिन रिया और उसकी सहेली क्लास में अलग बैठकर खाते और अपनी दूसरी सहेलियों का मुंह देखते। यहां सभी सहेलियां मिलकर एक दूसरे का खाना खाते और हंसी मजाक करते…। चौथा दिन जब हुआ जब रिया को शर्मिंदगी महसूस हुई और वह अपनी खास सहेली के साथ माफी मांगने लगी। तभी मीरा ने कहा कि माफी हमसे नहीं पार्वती से मांगो जिसका तुमने दिल दुखाया है। रिया ने पार्वती से माफी मांगी और दोनों ने हाथ मिलाया। सभी लोग बहुत खुश हुए और क्लास हंसी के साथ तालियों से गूंजने लगी।

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