लघु कथा

“सब अपने हैं” 

राहुल हमेशा चीनू के यहां जाने की जिद करता था परंतु राहुल की मां हमेशा उसे जाने के लिए डांट कर मना कर देती थी l चीनू के बार – बार आग्रह करने पर इस बार राहुल से रहा नहीं गया और मां को बिना बताए चला गया l देर होने के कारण मां बहुत चिंता में सोच रही थी कि आखिर आज इतनी देर कैसे हो गई? कुछ देर बाद राहुल हंसते – खेलते घर की ओर आ ही रहा था कि मां दूर से ही देख राहुल पर बरस पड़ी l राहुल ने अपनी मां से कहा; आप मुझे हमेशा गलत बताती आईं हैं…. कि वह स्लम एरिया है, कभी नहीं जाना चाहिए l वहां सभी गंदे लोग रहते हैं l लेकिन मुझे वहां बहुत अच्छा लगा l यहां तो कोई किसी से बात भी नहीं करता l वहां सभी ने मुझे बहुत प्यार किया और मेरे बहुत सारे नए दोस्त भी बन गए l अगली बार आप भी मेरे साथ चलिए l आपको भी बहुत खुशी मिलेगी l सब आपसे मिलेंगे, बात करेंगे l यहां तो कोई किसी से मतलब ही नहीं रखता, भले कितनी ही बड़ी मुसीबत क्यों ना आ जाए l वहां आपको ऐसा कुछ भी नहीं मिलेगा l लगेगा, सब अपने हैं l राहुल की बातें सुन, मां बिना प्रश्न -उत्तर किए चुपचाप अंदर चली गईं l

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