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प्रेम
प्रेम फूलों से हर किसी को एक बार कांटे से भी कर लो चुभन तुम्हारी दूर न कर दूं तो कहना…. प्रेम बरसात से हर किसी को एक बार सूखे से भी कर लो न चाहत का एहसास दिला दूं तो कहना…. प्रेम हवाओं से हर किसी को एक बार निर्वात से भी कर लो न शांत स्वरुप दिखा दूं तो कहना…. प्रेम नदियों से हर किसी को एक बार नाले से भी कर लो न दुख का एहसास दिला दूं तो कहना…. प्रेम नरम दिल से हर किसी को एक बार पत्थर दिल से भी कर लो ताकत से तुझे न भर दूं तो कहना…. प्रेम परमात्मा से सबको…