• कविता

    ठहराव

    कभी विचलन, कभी उथलापन, तलाश, एक ठहराव, शांत भांव …………….. । आंसमा की ओर झांकता, दूर वसुन्धरा को तांकता । भॅवर से उबरने की आस, न डूबने का आत्मविश्वास । वेग से आती वयार, ले जाती साथ, लौटाती खाली हाथ । गिरते – उठते तरंगों के पार, मानी अपनी हार । डूबी गहराई के जहन में, मुस्कुराई अब मन में, बाह्यी खोज भटकाव ! डूब स्वयं में, गहराई में ही ठहराव शांत सार ………………….. ।।