कविता नारी May 30, 2020 / रिश्ता है ना नाता हैफिर भी अपनाती हैएक बात पर वहअपने घर से दूसरे घर कीअपनी बन जाती हैहर रिश्ते को निभाती हैअपना सब भूल जाती हैऔर हम समझ ही नहीं पाते उसेजो स्वयं संसार को चलाती है….।