मानक हिंदी

स्वीकृत शब्दावली निर्माण के सिद्धांत

1. अंतरराष्ट्रीय शब्दों को यथासंभव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में ही अपनाना चाहिए और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार ही उनका लिप्यंतरण करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली के अंतर्गत निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं :
(क) तत्व और योगिकों के नाम, जैसे – हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आदि।
( ख) तौल और माप की इकाइयाँ और भौतिक परिमाण की इकाइयाँ, जैसे – डाइन, कैलोरी, ऐम्पियर, आदि।
(ग) ऐसे शब्द जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं, जैसे – मार्क्सवाद (कार्ल मार्क्स), ब्रेल (ब्रेल), बायॅकाट (कैप्टन बायॅकाट), गिलोटिन (डाॅ. गिलोटिन), गेरीमैंडर (मि. गेरी), एम्पियर (मि. एम्पियर), फारेनहाइट तापक्रम (मि. फारेनहाइट) आदि।
(घ) वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भूविज्ञान आदि की द्विपदी नामावली।
(ङ) स्थिरांक, जैसे – π, g आदि
(च) ऐसे अन्य शब्द जिनका आमतौर पर सारे संसार में व्यवहार हो रहा है, जैसे – रेडियो, पेट्रोल, रेडार, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि।
(छ) गणित और विज्ञान की अन्य शाखाओं के संख्यांक, प्रतीक, चिह्‍न और सूत्र, जैसे – साइन, कोसाइन, टेन्शन, लाॅग, आदि (गणितीय संक्रियाओं में प्रयुक्त अक्षर रोमन या ग्रीक वर्णमाला में होने चाहिए।

2. प्रतीक, रोमन लिपि में अंतरराष्ट्रीय रूप में ही रखे जाएँगे परंतु संक्षिप्त रूप नागरी और मानक रूप में भी, विशेषतः साधारण तौल और माप में लिखे जा सकते हैं जैसे – सेंटीमीटर का प्रतीक cm हिंदी में भी ऐसे ही प्रयुक्त होगा परंतु नागरी संक्षिप्त रूप में से.मी. भी हो सकता है।
यह सिद्धांत बाल-साहित्य और लोकप्रिय पुस्तकों में अपनाया जाएगा, परंतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मानक पुस्तकों में केवल अंतरराष्ट्रीय प्रतीक जैसे – cm ही प्रयुक्त करना चाहिए।

3. ज्यामितीय आकृतियों में भारतीय लिपियों के अक्षर प्रयुक्त किए जा सकते हैं, जैसे – क, ख, ग, या अ, ब, स परंतु त्रिकोणमितीय संबंधों में केवल रोमन अथवा ग्रीक अक्षर ही प्रयुक्त करने चाहिए जैसे साइन A, काॅस B, आदि।

4. संकल्पनाओं को व्यक्त करने वाले शब्दों का सामान्यत: अनुवाद किया जाना चाहिए।

5. हिंदी पर्यायों का चुनाव करते समय सरलता, अर्थ की परिशुद्धता और सुबोधता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सुधार-विरोधी प्रवृत्तियों से बचना चाहिए।

6. सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों में यथासंभव अधिकाधिक एकरूपता लाना ही इसका उद्देश्य होना चाहिए और इसके लिए ऐसे शब्द अपनाने चाहिए जो-
(क) अधिक से अधिक प्रादेशिक भाषाओं में प्रयुक्त होते हों, और
(ख) संस्कृत धातुओं पर आधारित हों।

7. ऐसे देशी शब्द जो सामान्य प्रयोग के पारिभाषिक शब्दों के स्थान पर हमारी भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं, जैसे – telegraphy/telegram के लिए तार, continent के लिए महाद्वीप, post के लिए डाक, आदि इसी रूप में व्यवहार में लाए जाने चाहिए।

8. अंग्रेजी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी आदि भाषाओं के ऐसे विदेशी शब्द जो भारतीय भाषाओं में प्रचलित हो गए हैं, जैसे – टिकट, सिगनल, पेंशन, पुलिस, ब्यूरो, रेस्तरां, डीलक्स आदि इसी रूप में अपनाए जाने चाहिए।

9. अंतरराष्ट्रीय शब्दों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण – अंग्रेजी शब्दों का लिप्यंतरण इतना जटिल नहीं होना चाहिए कि उसके कारण वर्तमान देवनागरी वर्णों में नए चिह्‍न व प्रतीक शामिल करने की आवश्यकता पड़े। शब्दों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण अंग्रेजी उच्चारण के अधिकाधिक अनुरूप होना चाहिए और उनमें ऐसे परिवर्तन किए जाएं जो भारत के शिक्षित वर्ग में प्रचलित हों।

10. लिंग – हिंदी में अपनाए गए अंतरराष्ट्रीय शब्दों को, अन्यथा कारण न होने पर, पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त करना चाहिए।

11. संकर शब्द – पारिभाषिक शब्दावली में संकर शब्द, जैसे guaranteed के लिए ‘गारंटित’, classical के लिए ‘क्लासिकी’, codifier के लिए ‘कोडकार’ आदि के रूप सामान्य और प्राकृतिक भाषाशास्त्रीय प्रक्रिया के अनुसार बनाए गए हैं और ऐसे शब्द रूपों को पारिभाषिक शब्दावली की आवश्यकताओं तथा सुबोधता, उपयोगिता, और संक्षिप्तता का ध्यान रखते हुए व्यवहार में लाना चाहिए।

12. पारिभाषिक शब्दों में संधि और समास – कठिन संधियों का यथासंभव कम से कम प्रयोग करना चाहिए और संयुक्त शब्दों के दो शब्दों के बीच हाइपर लगा देना चाहिए। इससे नई शब्द-रचनाओं को सरलता और शीघ्रता से समझने में सहायता मिलेगी। जहाँ तक संस्कृत पर आधारित ‘आदिवृद्धि’ का संबंध है, ‘व्यावहारिक’, ‘लाक्षणिक’ आदि प्रचलित संस्कृत तत्सम शब्दों में आदिवृद्धि का प्रयोग ही अपेक्षित है परंतु नवनिर्मित शब्दों में इससे बचा जा सकता है।

13. हलंत – नए अपनाए हुए शब्दों में आवश्यकतानुसार हलंत का प्रयोग करके उन्हें सही रूप में लिखना चाहिए।

14. पंचम वर्ण का प्रयोग – पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग करना चाहिए। परंतु lens, patent, आदि शब्दों का लिप्यंतरण लेंस, पेटेंट न करके, लेन्स, पेटेन्ट या पेटेण्ट ही करना चाहिए।

संदर्भ –
प्रशासनिक शब्दावली, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग), भारत सरकार, 2016

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