मानक हिंदी

शुद्ध हिंदी लेखन

हिंदी का प्रयोग-क्षेत्र विस्तृत है।  हिंदी की 18 बोलियाँ व उनकी उपबोलियाँ और उनके भी स्थानीय रूप होने के कारण, भाषा में अनेक भिन्नताएँ दिखाई देती हैं, जिससे उसके लेखन-शैली में विविधता आ जाती है। इस प्रकार, किसी वाक्य रचना या शब्दों का शुद्ध-अशुद्ध कहना कठिन हो जाता है, शब्दों के उच्चारण एवं लेखन में प्राय: एकरूपता का अभाव भी दिखाई देता है। अतः भाषा का मानक रूप, उसे पढ़ने, लिखने व समझने में एकरूपता के साथ सहजता प्रदान करता है एवं संप्रेषण को प्रभावी बनाता है।

यहाँ, भाषा के शुद्ध व मानक रूप द्वारा हिंदी-लेखन में विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों से परिचित कराया गया है।

वर्तनी-संबंधी अशुद्धियाँ

‘अ’ के स्थान पर  ‘आ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
अराधना
अराम 
अध्यात्मिक
अनुक्रमिक
कमायनी 
तलाब 
नियमनुसार
प्रमाणिक 
प्रधान्य 
महात्म्य 
संसारिक 
संप्रदायिक 
व्यवसायिक 
व्यवहारिक 
शुद्ध रूप
आराधना
आराम
आध्यात्मिक*
आनुक्रमिक
कामायनी
तालाब
नियमानुसार**
प्रामाणिक
प्राधान्य
माहात्म्य
सांसारिक
सांप्रदायिक
व्यावसायिक
व्यावहारिक

* ‘इक’ जुड़ने पर मूल शब्द के ‘अ’ का ‘आ’ हो जाता है, अतः अध्यात्म + इक = आध्यात्मिक।
** अ + आ = आ, अत: नियम + अनुसार = नियमानुसार, दिन + अंक = दिनांक।

‘आ’ के स्थान पर  ‘अ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
अत्याधिक
आध्यात्म
अनाधिकार
आधीन
गुप्ता
तदानुसार
दुरावस्था
पुनरावलोकन
बारात
बुद्धा
महाराष्ट्रा
मिश्रा
योगा
रामा
शुक्ला
शुद्ध रूप
अत्यधिक
अध्यात्म (आध्यात्मिक सही है)
अनधिकार*
अधीन
गुप्त
तदनुसार*
दुरवस्था**
पुनरवलोकन**
बरात
बुद्ध
महाराष्ट्र
मिश्र
योग
राम
शुक्ल

* अन् + अधिकार = अनधिकार, तद् + अनुसार = तदनुसार
** दु: + अवस्था = दुरवस्था, पुनः + अवलोकन = पुनरवलोकन

‘ / ‘‘ की जगह अंग्रेज़ी के आगत शब्दों में ‘‘ लिखिए

अशुद्ध रूप
आफिस
आर्डर
कान्फ्रेंस
काल
कालर
कालेज
चाकलेट
डाक्टर
पाकेट
पालिश
राकेट
ला
लाज
लाटरी
लान
शाप
शाल
हाल
शुद्ध रूप
ऑफिस
ऑर्डर
कॉन्फ्रेंस
कॉल
कॉलर
कॉलेज
चॉकलेट
डॉक्टर
पॉकेट 
पाॅलिश
रॉकेट
लॉ (law)
लॉज (lodge)
लॉटरी
लाॅन
शॉप (shop)
शॉल (shawl)
हॉल

‘इ’ के स्थान पर  ‘ई’ लिखिए

अशुद्ध रूप
अड़तिस
अधिन
अनुग्रहित
किजिए
किटाणु
केंद्रिय
चालिस
तारिख
तिसरा
द्वितिय
दिवार
दिवाली
पत्नि
परिक्षा
प्रतिक्षा
प्रस्तुतिकरण
बिमार
बेइमान
मंत्रि
महिना
यानि
वधु
विदुषि
श्रीमति
सिंचाई
सूचिपत्र
शुद्ध रूप
अड़तीस
अधीन
अनुगृहीत (अनुग्रह सही है)
कीजिए
कीटाणु
केंद्रीय
चालीस
तारीख
तीसरा
द्वितीय
दीवार
दीवाली
पत्नी
परीक्षा
प्रतीक्षा
प्रस्तुतीकरण (प्रस्तुति ठीक है)
बीमार
बेईमान
मंत्री (मंत्रिमंडल सही है)
महीना
यानी
वधू
विदुषी
श्रीमती
सिंचाई
सूचीपत्र

‘ई’के स्थान पर  ‘इ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
अतिथी
अभीरुचि
अवधी
आईना
आदी
उन्नती
उपाधी
कचहरीयां
कठिनाईयां
कालीदास
कीर्ती
गोधूली
छात्रवृती
तिलांजली
दवाईयां
दीप्ती
प्रती
पक्षीयों
प्राणीयों
बधाईयां
भीखारी
रात्री
स्थिती
हानी
शुद्ध रूप
अतिथि
अभिरुचि
अवधि
आइना
आदि
उन्नति
उपाधि
कचहरियाँ*
कठिनाइयाँ*
कालिदास
कीर्ति
गोधूलि
छात्रवृत्ति
तिलांजलि
दवाइयाँ*
दीप्ति
प्रति
पक्षियों*
प्राणियों*
बधाइयाँ*
भिखारी
रात्रि
स्थिति
हानि

* याँ तथा यों जुड़ने पर मूल शब्द का अंतिम ई स्वर इ में बदल जाता है, जैसे – लड़की – लड़कियाँ, दवाई –  दवाइयाँ, भाई – भाइयों आदि।

‘इ’ की मात्रा ( ि )उचित स्थान पर लगाइए

अशुद्ध रूप
कवियत्री
तिरिस्कार
प्रिंसिपिल
बाइबल
प्रदर्शिनी
प्राविधान
मुशकिल
रचियता
बाल्मीक
विनमय
सरोजनी
हल्दीया
शुद्ध रूप
कवयित्री (कवि सही है)
तिरस्कार
प्रिंसिपल
बाइबिल
प्रदर्शनी
प्रावधान
मुश्किल
रचयिता
बाल्मीकि
विनिमय
सरोजिनी
हल्दिया

‘उ’ की जगह ‘ऊ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
आंसु
उंचाई
उपर
कृपापुर्वक
डमरु
दुसरा
नेहरु
वधु
गुरु
सुचित
सुरदास
हिन्दु
शुद्ध रूप
आँसू
ऊँचाई
ऊपर
कृपापूर्वक
डमरू*
दूसरा
नेहरू*
वधू
गुरू
सूचित
सूरदास
हिन्दू (हिन्दुस्तान सही है)

* र + “ु” = रु, र + “ू”  = रू, इस भेद को स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए।

‘ऊ’ की जगह ‘उ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
कानपूर
गरूड़
कूआं
गुरू
छूआछूत
दूआ
धूआं
प्रभू
बंन्धू
भानू
शिशू
साधू
सेतू
हनूमान
हेतू
शुद्ध रूप
कानपुर
गरुड़
कुआँ
गुरु
छुआछूत
दुआ
धुआँ
प्रभु
बंधु
भानु
शिशु
साधु
सेतु
हनुमान
हेतु

‘ए’ की जगह ‘ऐ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
एटलस
एतिहासिक
एरावत
एश्वर्य
एसा
केकई
केंची
देहिक
पेदाइश
पेदावार
मेनेजर
शने:शने:
सैनिक
स्टेंड
हेंड
शुद्ध रूप
ऐटलस
ऐतिहासिक
ऐरावत
ऐश्वर्य
ऐसा
कैकई
कैंची
दैहिक*(देह सही है)
पैदाइश
पैदावार
मैनेजर
शनै: शनै:
सैनिक
स्टैंड
हैंड

* ‘इक’ जुड़ने से ‘ए’ का ‘ऐ’ हो जाता है।

‘ऐ’ की जगह ‘ए’ लिखिए

अशुद्ध रूप
ऐवं
ऐम.ए.
कन्याऐं
नैपाल
भाषाऐं
वैश्या
सैंसर
सैना
योग्यताऐं
हुऐं
शुद्ध रूप
एवं
एम.ए.
कन्याएँ*
नेपाल
भाषाएं
वेश्या
सेंसर
सेना
योग्यताएं
हुए

* ‘ऐ’ स्वर का मूल रूप में प्रयोग केवल शब्द के आरंभ में होता है, जैसे – ऐनक आदि।

‘ओ’ की जगह ‘औ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
ओद्योगिक
ओरत
कोन
द्रोपदी
पारलोकिक
प्रोढ़
भोतिक
भों
भोंरा
मोसी
लोकिक
सोजन्य
सोदागर
होसला
शुद्ध रूप
औद्योगिक
औरत
कौन
द्रौपदी
पारलौकिक
प्रौढ़
भौतिक
भौं
भौंरा
मौसी
लौकिक* (लोक सही है)
सौजन्य
सौदागर
हौसला

‘औ’ की जगह ‘ओ’ लिखिए

अशुद्ध रूप
खौं-खौं
गौंद
गौदान
गौशाला
झौपड़ी
द्रौणाचार्य
भौंपू
रौंदना
हिंदुऔं
शुद्ध रूप
खों-खों
गोंद
गोदान*
गोशाला
झोंपड़ी
द्रोणाचार्य
भोंपू
रोंदना
हिंदुओं

* एक प्रत्यय संयुक्त होने पर अ का आ; इ, ई, ए का ऐ और उ, ऊ, ओ का औ हो जाता है, जैसे ‐
(I)  अ – समाज > सामाजिक
(ii)  इ – इतिहास > ऐतिहासिक
(iii)  ई – नीति > नैतिक
(iv)  उ – मुख > मौखिक (v)  ऊ – भूत > भौतिक
(vi)  ए – देव  > दैविक
(vii) ओ – लोक > लौकिक

संदर्भ

प्रशासनिक मानक हिंदी, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी।

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