पड़ाव
एक बार कहा था मैंने
उस सितारे से
एक दिन चमकूंगी तेरी तरह
पर इतनी दूर नहीं जहाँ
तेरे टूटने की प्रतीक्षा में
नज़रें गड़ाए ज़िंदगी बिता देते हैं
तुझसे उम्मीद रखने वाले।
ठहर जाऊँगी मैं उस पड़ाव पर ही
जहाँ से देख सकूंगी उन चेहरों को
जो आस लगाए बैठे हैं और
टूट जाया करूँगी बार-बार
उनके चेहरे पर मुस्कराहट लाने के लिए।