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‘गोशाला’ से पवित्र स्थल, दुनिया में कहीं भी नहीं…
महर्षि वशिष्ठ जी ने कहा है – “गाव: स्वस्त्ययनं महत्” अर्थात् ‘गो मंगल का परम् निधान है।’ जहाँ गोमाता का पालन-पोषण भली-भाँति नहीं होता, वहाँ अमंगल दशा देखने को मिलती है और जहाँ गोमाता की पूजा होती है, वहाँ संपन्नता व आनंद की वर्षा होती है। यही कारण था कि पूर्वकाल में राजा गोधन को ही सर्वश्रेष्ठ मानते थे; गोपूजा, गोदान की प्रथा प्रचलित थी। समय के साथ भारतीय संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ आचरण ‘गोसेवा’ लुप्त होती गई और जिस देश में दूध की नदियाँ बहती थीं, वहाँ गरीबी बढ़ती गई। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आचार्य विनोबा भावे जी ने कहा है – “हिंदुस्तानी सभ्यता का नाम ही ‘गोसेवा’ है।”महानगर…