अनुस्वार (ं) और चंद्र बिंदु (ँ) संबंधी अशुद्धियाँ
अनुस्वार के स्थान पर चंद्रबिंदु लगाइए*
अशुद्ध रूप
अंगीठी
अंगूठा
अंग्रेजी
आंसू
कंटीला
कांटा
गांधी
जाऊंगा
जूं
डांट
ढंग
तांगा
तांबा
दांव
पांच
फांसी
बांदा
मां
रोटियां
सांप
हंसी
हां-हूं
होउंगी
शुद्ध रूप*
अँगीठी
अँगूठा
अँग्रेजी
आँसू
कँटीला
काँटा (कंटक सही है)
गाँधी (गंदी सही है)
जाऊँगा
जूँ
डाँट
ढँग
ताँगा
ताँबा
दाँव
पाँच
फाँसी
बाँदा
माँ
रोटियाँ
साँप
हँसी
हाँ-हूँ
होउँगी
* अनुस्वार के स्थान पर चंद्रबिंदु का प्रयोग करना पूर्णत: अशुद्ध है।
चंद्रबिंदु (ँ) के स्थान पर अनुस्वार (ं) लगाइए
अशुद्ध रूप
अँक
अँकुश
अँजन
एवँ
क्रमाँक
दिनाँक
पँच
बाराबँकी
रँग
विशेषाँक
सँस्कृत
सँयोग
स्वयँ
शुद्ध रूप
अंक
अंकुश
अंजन
एवं
क्रमांक
दिनांक
पंच ( पाँच सही है)
बाराबंकी
रंग
विशेषांक
संस्कृत
संयोग
स्वयं
अनुस्वार न लगाइए
अशुद्ध रूप
जाएंगीं
ओंठ
गेंहूँ
चाहिएं
दोस्तों
शुद्ध रूप
जाएंगी*
ओठ
गेहूँ
चाहिए**
दोस्तो*** (संबोधन में, जैसे-प्रिय दोस्तो!)
अशुद्ध रूप
नींबू
नोंक
पूछतांछ
बीचोंबीच
भींगना
महीनें
मानों
होंठो
शुद्ध रूप
नीबू
नोक
पूछताछ
बीचोबीच
भीगना
महीने
मानो
होठों
* भविष्यत् काल में बहुवचन में- गें, गीं नहीं होता। इनसे पूर्व का स्वर प्रभावित होता है, जैसे- जाएगी > जाएंगी > जाएंगे आदि।
भूतकाल में स्त्रीलिंग में अनुस्वार लगता है, जैसे-आई > आईं ; लेकिन पुल्लिंग > बहुवचन में अनुस्वार नहीं लगता, जैसे आया > आए आदि ।
** ‘मुझे रोटी चाहिए’ और मुझे ‘रोटी, सब्जी, दाल चाहिए’ इन दोनों ही स्थितियों में ‘चाहिए’ का ही प्रयोग होगा। ‘चाहिएं’ अशुद्ध प्रयोग है।
*** ‘बहुवचन में ‘दोस्तों’, ‘बच्चों,’ ‘बहनों’ ‘भाइयों’ होगा, जैसे- मेरे दोस्तों ने, उसके भाइयों ने आदि; लेकिन सम्बोधन में अनुस्वार का प्रयोग नहीं किया जाएगा, जैसे- प्यारे बच्चो, आदरणीय भाइयो और बहनो आदि।
संदर्भ –
प्रशासनिक मानक हिंदी, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी।
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Shiv+Shankar+Sharma
Excillent