• श्रेष्ठ कवियों की श्रेष्ठ कविताएँ

    धीरे-धीरे
    – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    भरी हुई बोतलों के पासख़ाली गिलास-सामैं रख दिया गया हूँ। धीरे-धीरे अँधेरा आएगाऔर लड़खड़ाता हुआमेरे पास बैठ जाएगा।वह कुछ कहेगा नहींमुझे बार-बार भरेगाख़ाली करेगा,भरेगा—ख़ाली करेगा,और अंत मेंख़ाली बोतलों के पासख़ाली गिलास-साछोड़ जाएगा। मेरे दोस्तो!तुम मौत को नहीं पहचानतेचाहे वह आदमी की होया किसी देश कीचाहे वह समय की होया किसी वेश की।सब-कुछ धीरे-धीरे ही होता हैधीरे-धीरे ही बोतलें ख़ाली होती हैंगिलास भरता है,हाँ, धीरे-धीरे हीआत्मा ख़ाली होती हैआदमी मरता है। उस देश का मैं क्या करूँजो धीरे-धीरे लड़खड़ाता हुआमेरे पास बैठ गया है। मेरे दोस्तो!तुम मौत को नहीं पहचानतेधीरे-धीरे अँधेरे के पेट मेंसब समा जाता है,फिर कुछ बीतता नहींबीतने को कुछ रह भी नहीं जाताख़ाली बोतलों के पासख़ाली गिलास-सा सब…

  • श्रेष्ठ कवियों की श्रेष्ठ कविताएँ

    देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता
    – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    यदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग लगी होतो क्या तुमदूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे मेंलाशें सड़ रहीं होंतो क्या तुमदूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?यदि हाँतो मुझे तुम सेकुछ नहीं कहना है। देश कागज पर बनानक्शा नहीं होताकि एक हिस्से के फट जाने परबाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहेंऔर नदियां, पर्वत, शहर, गांववैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखेंअनमने रहें।यदि तुम यह नहीं मानतेतो मुझे तुम्हारे साथनहीं रहना है। इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ाकुछ भी नहीं हैन ईश्वरन ज्ञानन चुनावकागज पर लिखी कोई भी इबारतफाड़ी जा सकती हैऔर जमीन की सात परतों के भीतरगाड़ी जा सकती है। जो विवेकखड़ा हो…