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महारानी तपस्विनी बाई
बहादुरों जब भारत माता बंदी हो, तुम्हें चैन से सोने का हक नहीं। नौजवानों उठो भारत भूमि को फिरंगियों से मुक्त कराओ। ऐसे शब्द शक्ति का संचार, जिसने भारतीयों के रग-रग में देश भक्ति की भावना को भर दिया; सोए हुए को जगा दिया और साधारण जीवन को तपस्वी बना दिया, वह थीं महारानी तपस्विनी। महारानी तपस्विनी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की रिश्ते में भतीजी और उनके एक सरदार पेशवा नारायण राव की पुत्री थीं। सन् 1857 की क्रांति में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से जनक्रांति के लिए पूर्व-पीठिका तैयार करने में। महारानी तपस्विनी बाई का जन्म सन् 1842 बेलूर, कर्नाटक में हुआ। वह एक बाल विधवा…
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प्रेरणा का स्वरूप : प्रतिकूल परिस्थितियाँ
प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारे जीवन में सदैव एक बदलाव लाती हैं और यह बदलाव हमें समृद्धि की ओर ले जाता है। ये, हमें डराती अवश्य हैं परंतु मानसिक स्तर पर बहुत मजबूत बनाती हैं। ये, हमारे लिए प्रेरणा बनकर आती हैं क्योंकि इन क्षणों में हमारी धैर्य-शक्ति पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ जाती है और हमारी सोचने-समझने की क्षमता भी पहले से बेहतर हो जाती है।प्रतिकूल परिस्थिति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह सबसे पहले हमारे अहं को तोड़ती है, जो मनुष्य का सबसे बडा शत्रु होता है, क्योंकि व्यक्ति के पतन का कारण ही अहं है। अतः प्रतिकूल परिस्थिति हमारे लिए एक मित्र का कार्य करती है, जिसकी…