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बंता सिंह
कुछ लोग अपने लिए जीते हैं और चले जाते हैं कुछ परिवार के लिए जीते हैं और उनकी यादों में रह जाते हैं कुछ ऐसे भी होते हैं जो वतन के लिए जीते हैं और सदा के लिए हर दिल में बस जाते हैं। ऐसे ही वतन के लिए जीने वाले थे बंता सिंह। बंता सिंह का जन्म 1890 पंजाब के जालंधर जिले के संघवाल नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता नाम बूटा सिंह और माता का नाम गुजरी था। बूटा सिंह बड़े ही धार्मिक, साहसी व्यक्ति होने के साथ-साथ एक किसान व अच्छे उद्यमी भी थे। बंता सिंह बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थे। प्रारंभिक शिक्षा…
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वैतरणी
“अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।।” — ब्रह्मवैवर्तपुराण १/४४/७४ अर्थात् व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए शुभ-अशुभ कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है। न मात्र मानव शरीर में अपितु मृत्यु के पश्चात् पिंड रूप में शरीर धारण करने वाली आत्मा को अपने सुकर्मानुसार स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है, वहीं पापी को यममार्ग की यातना झेलते हुए नरक भोगना पड़ता है। “पापीना मैहिक॔ दु:खं यथा भवती तच्छृणु।ततस्ते मरणं प्राप्य यथा गच्छन्ति यात्नाम्।।” गरुड़ पुराण, १।१८।। एक बार गरुड़ को नर्क और यममार्ग जानने की इच्छा जागृत हुई, तब भगवान विष्णु गरुड़ को यममार्ग और नरकलोक के बारे में बताते हैं, जिसका संपूर्ण विवरण ‘गरुड़ पुराण’ में मिलता है। उल्लेखनीय है…