मेरा दिव्य संसार

ओ राधारानी! तुम हो कौन?

ओ राधारानी! तुम हो कौन?

बृषभान दुलारी या नंदलाल की प्यारी हो
गोपियों की सखी या बरसाने की रानी हो
                 ओ राधारानी! तुम हो कौन?

तुम्हारा नाम, यमुना के कल-कल में
तुम्हारा नाम, वृंदावन की कुंजगली में
तुम्हारा नाम, हर प्राणी के अंतसमन में
तुम्हारा नाम, गिरधर की मुरली में
                 ओ राधारानी! तुम हो कौन?

अरे राधा!
तुम्हारी सुंदरता पर, चाँद-सूरज भी लजाएँ
तुम्हारी मुस्कान पर, फूल भी लहराएँ
तुम्हारी एक दृष्टि को, प्रकृति भी ललचाए
तुम्हारे प्यार पर, स्वयं प्रभु भी झुक जाएँ
                 ओ राधारानी! तुम हो कौन?

अरे राधा! संज्ञान में आया, 
तुम कृष्ण का प्रेम हो
तुम कृष्ण का भेद हो
तुम ही कृष्ण की शक्ति
इस जगत का आधार हो
तुम ही कृष्ण और तुम ही राधा हो!!
अरे राधे!
तुम ही कृष्ण, तुम ही राधे हो!!!
अरे राधे!
तुम ही राधेकृष्ण  हो!!!!

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