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‘नवरात्रि’ : शक्ति को जागृत करने का स्रोत
श्रीराम-रावण युद्ध में जब श्रीराम की सेना पराजय होने लगी तब श्रीराम ने शक्ति को प्रसन्न करने हेतु नौ दिन, देवी की पूजा करने का संकल्प किया और अंतिम दिन अर्थात् नौवे दिन शक्ति प्रकट हो, राम में विलीन हो गई। यह प्रसंग शक्ति की महिमा का बखान करने के साथ-साथ इन नौ दिनों की विशेषता और उसकी महत्ता पर भी ध्यान आकर्षित करता है। देवी जिसके अनेक रूप व अनेक नाम हैं, परंतु क्यों नौ देवी और नौ दिन का ही महत्व और पूजा का विधान है? इसके पीछे अनेक तात्पर्य छुपे हुए हैं, जिनमें मुख्य है कि ये नौ दिन मनुष्य को उसकी शक्ति का परिचय करवाते हैं।…
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बंता सिंह
कुछ लोग अपने लिए जीते हैं और चले जाते हैं कुछ परिवार के लिए जीते हैं और उनकी यादों में रह जाते हैं कुछ ऐसे भी होते हैं जो वतन के लिए जीते हैं और सदा के लिए हर दिल में बस जाते हैं। ऐसे ही वतन के लिए जीने वाले थे बंता सिंह। बंता सिंह का जन्म 1890 पंजाब के जालंधर जिले के संघवाल नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता नाम बूटा सिंह और माता का नाम गुजरी था। बूटा सिंह बड़े ही धार्मिक, साहसी व्यक्ति होने के साथ-साथ एक किसान व अच्छे उद्यमी भी थे। बंता सिंह बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थे। प्रारंभिक शिक्षा…
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वैतरणी
“अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।।” — ब्रह्मवैवर्तपुराण १/४४/७४ अर्थात् व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए शुभ-अशुभ कर्मों का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है। न मात्र मानव शरीर में अपितु मृत्यु के पश्चात् पिंड रूप में शरीर धारण करने वाली आत्मा को अपने सुकर्मानुसार स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है, वहीं पापी को यममार्ग की यातना झेलते हुए नरक भोगना पड़ता है। “पापीना मैहिक॔ दु:खं यथा भवती तच्छृणु।ततस्ते मरणं प्राप्य यथा गच्छन्ति यात्नाम्।।” गरुड़ पुराण, १।१८।। एक बार गरुड़ को नर्क और यममार्ग जानने की इच्छा जागृत हुई, तब भगवान विष्णु गरुड़ को यममार्ग और नरकलोक के बारे में बताते हैं, जिसका संपूर्ण विवरण ‘गरुड़ पुराण’ में मिलता है। उल्लेखनीय है…
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महारानी तपस्विनी बाई
बहादुरों जब भारत माता बंदी हो, तुम्हें चैन से सोने का हक नहीं। नौजवानों उठो भारत भूमि को फिरंगियों से मुक्त कराओ। ऐसे शब्द शक्ति का संचार, जिसने भारतीयों के रग-रग में देश भक्ति की भावना को भर दिया; सोए हुए को जगा दिया और साधारण जीवन को तपस्वी बना दिया, वह थीं महारानी तपस्विनी। महारानी तपस्विनी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की रिश्ते में भतीजी और उनके एक सरदार पेशवा नारायण राव की पुत्री थीं। सन् 1857 की क्रांति में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से जनक्रांति के लिए पूर्व-पीठिका तैयार करने में। महारानी तपस्विनी बाई का जन्म सन् 1842 बेलूर, कर्नाटक में हुआ। वह एक बाल विधवा…
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प्रेरणा का स्वरूप : प्रतिकूल परिस्थितियाँ
प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारे जीवन में सदैव एक बदलाव लाती हैं और यह बदलाव हमें समृद्धि की ओर ले जाता है। ये, हमें डराती अवश्य हैं परंतु मानसिक स्तर पर बहुत मजबूत बनाती हैं। ये, हमारे लिए प्रेरणा बनकर आती हैं क्योंकि इन क्षणों में हमारी धैर्य-शक्ति पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ जाती है और हमारी सोचने-समझने की क्षमता भी पहले से बेहतर हो जाती है।प्रतिकूल परिस्थिति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह सबसे पहले हमारे अहं को तोड़ती है, जो मनुष्य का सबसे बडा शत्रु होता है, क्योंकि व्यक्ति के पतन का कारण ही अहं है। अतः प्रतिकूल परिस्थिति हमारे लिए एक मित्र का कार्य करती है, जिसकी…
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“गुरु न तजूँ हरि कूँ तजि डारूँ”
‘गुरु’ अर्थात् अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला। गुरु का अर्थ या उसकी परिभाषा शब्दों में व्यक्त करना असंभव है। किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णन किया जा सकता है परंतु गुरु का कितना भी वर्णन किया जाए, उसके वास्तविक स्वरूप और गुणों का वर्णन नहीं किया जा सकता। गुरु अनिर्वचनीय है, अवर्णनीय है, इसलिए संत कबीर दास जी भी कहते हैं –“सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब बनराय।सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय।।”गुरु न सुनने के लिए है, न समझने के लिए। गुरु न पढ़ने के लिए है, न मानने के लिए। यह सब मन को समझाने और उसे संतुष्ट करने के उपाय…
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कटे हाथ – अशोक चक्रधर
बगल में एक पोटली दबाएएक सिपाही थाने में घुसाऔर सहसाथानेदार को सामने पाकरसैल्यूट माराथानेदार ने पोटली की तरफ निहारासैल्यूट के झटके में पोटली भिंच गईऔर उसमें से एक गाढ़ी-सी कत्थई बूंद रिस गईथानेदार ने पूछा:‘ये पोटली में से क्या टपक रहा है ?क्या कहीं से शरबत की बोतलेंमार के आ रहा है ?सिपाही हड़बड़ाया, हुजूर इसमें शरबत नहीं हैशरबत नहीं हैतो घबराया क्यों है, हद हैशरबत नहीं है, तो क्या शहद है?सिपाही काँपा, सर शहद भी नहीं हैइसमें से तोकुछ और ही चीज बही हैऔर ही चीज, तो खून है क्या?अबे जल्दी बताक्या किसी मुर्गे की गरदन मरोड़ दीक्या किसी मेमने की टांग तोड़ दीअगर ऐसा है तो बहुत अच्छा…
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प्यार की कहानी चाहिए
कवि- गोपालदास “नीरज”आदमी को आदमी बनाने के लिएजिंदगी में प्यार की कहानी चाहिएऔर कहने के लिए कहानी प्यार कीस्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए। जो भी कुछ लुटा रहे हो तुम यहाँवो ही बस तुम्हारे साथ जाएगा,जो छुपाके रखा है तिजोरी मेंवो तो धन न कोई काम आएगा,सोने का ये रंग छूट जाना हैहर किसी का संग छूट जाना हैआखिरी सफर के इंतजाम के लिएजेब भी कफन में इक लगानी चाहिएआदमी को आदमी बनाने के लिएजिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए। रागिनी है एक प्यार कीजिंदगी कि जिसका नाम हैगाके गर कटे तो है सुबहरोके गर कटे तो शाम हैशब्द और ज्ञान व्यर्थ हैपूजा-पाठ ध्यान व्यर्थ हैआँसुओं को गीतों में बदलने के…
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आत्मनिर्भर भारत
सकारात्मक दृष्टि से आत्मनिर्भर होगा देश एक दृष्टि हम अपने प्राचीन भारत पर डालते हैं तो पातें हैं कि 2,500 ई.पू. ही हमारे भारत देश में कृषि, मिट्टी के बर्तन बनाने की कला, औजार, आभूषण, मानव निर्मित वस्तुओं तथा मिश्रित धातु की मूर्तियों के निर्माण का कौशल विस्तृत हो चुका था। शहरों का विकास, सिक्कों का इस्तेमाल, शास्त्रों की रचना, ज्ञान-विज्ञान, योग, आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा जैसी अद्भुत क्रियाओं से समृद्ध भारत देश, प्रगति पथ पर बहुत आगे था। विदेशी आक्रमणों का सामना करते-करते देश विकास मार्ग में बाधित होता गया, बढ़ती जनसंख्या, अकाल तथा गरीबी के साथ-साथ अपना देश विदेशी शासकों द्वारा दमन और दरिद्रता का शिकार होता गया।स्वतंत्रता आंदोलन…
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आओ फिर से दिया जलाएँ – अटल बिहारी वाजपेयी
आओ फिर से दिया जलाएँ।भरी दुपहरी में अँधियारासूरज परछाई से हाराअंतरतम का नेह निचोड़ें-बुझी हुई बाती सुलगाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ। हम पड़ाव को समझे मंज़िललक्ष्य हुआ आँखों से ओझलवर्त्तमान के मोहजाल में-आने वाला कल न भुलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ। आहुति बाकी यज्ञ अधूराअपनों के विघ्नों ने घेराअंतिम जय का वज़्र बनाने-नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।आओ फिर से दिया जलाएँ।