दिव्य रहस्य
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गगन मंडल
“गगन मंडल में ऊंधा कूबा, तहां अमृत का बासा। सगुरा होई सु भरि भरि पीवै, निगुरा जाइ पियासा॥” गुरु गोरखनाथ कहते हैं कि जिसके पास गुरु है, वह गगन मंडल में औंधे मुँह कुएँ में भरे ज्ञान रूपी अमृत को भर-भर कर पीता है और जिसके पास गुरु नहीं है, वह उस अमृत को चखे बिना ही मर जाता है।गगन मंडल है क्या! इसका वास्तविक अर्थ क्या है! संत-महात्माओं की वाणी में सदैव इसे पाया गया है। भक्ति काल की रचनाओं में भी गगन मंडल का उल्लेख है –“अवधूत गगन मंडल घर कीजै”(कबीर), “गगन मंडल पर सेज पिया की, किस बिध मिलना होय”, “गगन मंडल म्हारो सासरो…”(मीराबाई), “गगन मण्डल में…
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‘नवरात्रि’ : शक्ति को जागृत करने का स्रोत
श्रीराम-रावण युद्ध में जब श्रीराम की सेना पराजय होने लगी तब श्रीराम ने शक्ति को प्रसन्न करने हेतु नौ दिन, देवी की पूजा करने का संकल्प किया और अंतिम दिन अर्थात् नौवे दिन शक्ति प्रकट हो, राम में विलीन हो गई। यह प्रसंग शक्ति की महिमा का बखान करने के साथ-साथ इन नौ दिनों की विशेषता और उसकी महत्ता पर भी ध्यान आकर्षित करता है। देवी जिसके अनेक रूप व अनेक नाम हैं, परंतु क्यों नौ देवी और नौ दिन का ही महत्व और पूजा का विधान है? इसके पीछे अनेक तात्पर्य छुपे हुए हैं, जिनमें मुख्य है कि ये नौ दिन मनुष्य को उसकी शक्ति का परिचय करवाते हैं।…